शब्द समझदार होने लगते है,, तब अर्थ भी विस्तृत होने लगते है. यूं तो कोमल फूल से है तेरे स्मरन,, कयूँ रात मे बोज दुगना होता है. आँसू ओसे भीगता है निरंतर,, प्यार का पथ फिसलन वाला बनता है. फिर वही सुबह, शाम ओर फिर रात,, यादो मैं होतीहै तेरी ही बात. #nojotohindi#nojotopoem#nojotopyaar#filling शब्द समझदार होने लगते है,, तब अर्थ भी विस्तृत होने लगते है. यूं तो कोमल फूल से है तेरे स्मरन,, कयूँ रात मे बोज दुगना होता है. आँसू ओसे भीगता है निरंतर,, प्यार का पथ फिसलन वाला बनता है.