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जीवन का आनंद न अंदर है न बाहर है। तो है कहाँ ? निस

जीवन का आनंद न अंदर है न बाहर है।
तो है कहाँ ? निस्वार्थ कर्मों के कर्म में।
जीवन का आनंद न अंदर है न बाहर है।
तो है कहाँ ? निस्वार्थ कर्मों के कर्म में।
narendrakumar3882

Narendra kumar

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