... कैसी है ना ये शहरो की दूरियां हमे अपनो से कितना दूर कर देती है हिम्मत कब तक रखे कोई आखिर अरे ये तो इन्सान तक को तोड़ देती है वक्त भी खामोश रहता है और साथ साथ इन्सान भी खामोश होने लगते है लेकिन एक वादा तो मेरा भी है इन अंजान से शहरो की दूरियों से की मेरे दिल और दिमाग से कभी भी उन्हें दूर नही कर पाओगे देख लेना मैं नही एक दिन तुम खुद टूटोगी और वो मेरे पास होंगे सिर्फ मेरे होकर हमेशा हमेशा के लिए ©Shalini Rawat #distance