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White *** उसके एहसासों की खुशबू *** गर्म धूप ढल

White *** उसके एहसासों की खुशबू ***

गर्म धूप ढल चली अब,
मौसम हुआ सुहाना, बादल छा जाने से,
खुशी से खिल उठा सुर्ख गुलमोहर,
एक मेरे गुल के खिलखिलाने से।

मोंगरा महक रहा था, 
कल शाम फिज़ा में,
अलग होती है खुशबू हर दफा, 
उसकी याद आने से।

देह महक जाती हैं, 
गुलाबों की गमक से,
चमेली का अहसास होता है,
अक्सर उसके मुस्कुराने से।

फूलों से रिश्ता है गहरा शायद उसका,
रोक लेते हैं मुझे वो किसी बहाने से,
फिर कल रात भर महके हम ‘बेतौल’,
उनके ख्वाबों में रजनीगंधा बन जाने से।

©बोल_बेतौल by Atull Pandey
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