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रात ।।।कितना कुछ कहती है रातें खुल जाती है हर कहा

रात ।।।कितना कुछ कहती है  रातें
खुल जाती है हर कहानी और छिपी हुई बातें
शहरों में जगमगाती सी होती है
तो कहीं अंधेरी सुरंग सी बन जाती है
कहीं किसी के तकिए को भिगोती है
तो कहीं आंखो के जरिए मुस्कुराती है
दिन की चकाचौंध में बस इंसान देखते है
रात इंसानों की रूह भी परख जाती है
दिन भर की जलन जो भी हो
रात की चांदनी शीतल कर जाती है
कहीं बनते है सपने इसमें कभी सपने टूट है जाते
और कितना कुछ समेट लेती है अपने अंदर ये रातें #रातें
रात ।।।कितना कुछ कहती है  रातें
खुल जाती है हर कहानी और छिपी हुई बातें
शहरों में जगमगाती सी होती है
तो कहीं अंधेरी सुरंग सी बन जाती है
कहीं किसी के तकिए को भिगोती है
तो कहीं आंखो के जरिए मुस्कुराती है
दिन की चकाचौंध में बस इंसान देखते है
रात इंसानों की रूह भी परख जाती है
दिन भर की जलन जो भी हो
रात की चांदनी शीतल कर जाती है
कहीं बनते है सपने इसमें कभी सपने टूट है जाते
और कितना कुछ समेट लेती है अपने अंदर ये रातें #रातें