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आज विचार कर रहा हूँ, अभिलाषा पर अपनी,जो अब बढ़ रही

आज विचार कर रहा हूँ,
अभिलाषा पर अपनी,जो अब बढ़ रही है,
और सोचता हूँ की एक पत्थर अल्पविराम बनाकर
अभिलाषा के आगे रख दू!
जिस से मेरी अभिलाषा का शायद अंत हो,
इस बृह्मांड की विवेचना करू,
पर उस से होगा क्या?
मैं कौन हूँ?
अमिट सा दिखने वाला सूर्य भी एक दिन नष्ट हो जायेगा!
वांछित या अवांछित सब यही रह जायेगा,
किंतु घबराये नही,
अभी बहुत समय है
कुछ नष्ट होता है तो
पुनःनिर्माण अच्छा होता है!! कविता 
#nojoto #hindi #poetry
आज विचार कर रहा हूँ,
अभिलाषा पर अपनी,जो अब बढ़ रही है,
और सोचता हूँ की एक पत्थर अल्पविराम बनाकर
अभिलाषा के आगे रख दू!
जिस से मेरी अभिलाषा का शायद अंत हो,
इस बृह्मांड की विवेचना करू,
पर उस से होगा क्या?
मैं कौन हूँ?
अमिट सा दिखने वाला सूर्य भी एक दिन नष्ट हो जायेगा!
वांछित या अवांछित सब यही रह जायेगा,
किंतु घबराये नही,
अभी बहुत समय है
कुछ नष्ट होता है तो
पुनःनिर्माण अच्छा होता है!! कविता 
#nojoto #hindi #poetry
samantkamal0537

Samant Kamal

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