मैं 'मैं' को हराना चाहता हूँ भ्रम को हटाना चाहता हूँ 'मैं' ने सब छीन लिया मुझसे मैं ख़ुद ही दूर हो गया मुझसे क्या करूँ कहाँ जाऊँ समझ नहीं आता ये 'मैं' ही तो रास्ते का रोड़ा बन जाता आईने में मैं नहीं 'मैं' दिखता है बातों में भी 'मैं' ही झलकता है मेरे तुम्हारे बीच 'मैं' ही तो है मिलने पर टकराता 'मैं' ही तो है घबराता हूँ कहीं बदल ही न जाऊँ मनुष्य की जगह मैं मैं... मैं ...बकरी न बन जाऊँ #chhandrahit