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रिश्ते कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते. रिश्त

रिश्ते कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते. रिश्तों की खुशहाली के लिए झुकना होता है, सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है. सच्चे रिश्ते ही वास्तविक पूँजी है। रिश्ते कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते. रिश्तों की खुशहाली के लिए झुकना होता है, सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है. सच्चे रिश्ते ही वास्तविक पूँजी है।
रिश्ते कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते. रिश्तों की खुशहाली के लिए झुकना होता है, सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है. सच्चे रिश्ते ही वास्तविक पूँजी है। रिश्ते कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते. रिश्तों की खुशहाली के लिए झुकना होता है, सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है. सच्चे रिश्ते ही वास्तविक पूँजी है।
achalsharma6882

Achal Sharma

New Creator

रिश्ते कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते. रिश्तों की खुशहाली के लिए झुकना होता है, सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है. सच्चे रिश्ते ही वास्तविक पूँजी है।