Nojoto: Largest Storytelling Platform

हमलोग डरते हैं , धरती पर हर जगह और सबसे ज्यादा होन

 हमलोग डरते हैं ,
धरती पर हर जगह और सबसे ज्यादा होने के बाद भी हम ही हैं जो सबसे ज्यादा डरते हैं ,और मालूम हैं हमलोग किससे सबसे ज्यादा डरते हैं ?

हमलोग सबसे ज्यादा खुद से डरते हैं , हमलोग सबसे ज्यादा अपने आप से ही डरते हैं , हमलोग डरते हैं अकेले रहने से , हमलोग डरते हैं चुपचाप रहने से और हमलोग डरते हैं खुद के साथ रहने से, खुद का सामना करने से…

हमलोग को मालूम रहता हैं की हमारे अन्दर कोई और रहता हैं , कोई ऐसा जो हमसे सवाल पूछने की औकात रखता हैं , हमसे आँख से आँख मिलाकर बात करने का साहस रखता हैं और हमें मार डालने की ताकत रखता हैं .

मुझे कभी - कभी लगता हैं की हमलोग खुद से बचने के लिए ही किसी की तलाश में रहते हैं ,  किसी ऐसे की तलाश में जिसे खोजने के बाद हम जुल्फों की छाँव में बिना किसी का सामना किये  मौत आने तक आराम से सो सकते हैं, दर्पण में हम अपनी आँखों को देखते हैं जिनसे हमें कोई आँख दिखाकर कुछ कहता हैं , कुछ ऐसा जो बहुत कडवा हैं पर हाँ जो सच होता  हैं , इसलिए शायद हम उन दर्पणों की तलाश में हैं जो किसी के आँखों में मौजूद हैं , उन आँखों में मौजूद दर्पण में हमें कड़वा सच भी  मीठा ही दिखता हैं .
 हमलोग डरते हैं ,
धरती पर हर जगह और सबसे ज्यादा होने के बाद भी हम ही हैं जो सबसे ज्यादा डरते हैं ,और मालूम हैं हमलोग किससे सबसे ज्यादा डरते हैं ?

हमलोग सबसे ज्यादा खुद से डरते हैं , हमलोग सबसे ज्यादा अपने आप से ही डरते हैं , हमलोग डरते हैं अकेले रहने से , हमलोग डरते हैं चुपचाप रहने से और हमलोग डरते हैं खुद के साथ रहने से, खुद का सामना करने से…

हमलोग को मालूम रहता हैं की हमारे अन्दर कोई और रहता हैं , कोई ऐसा जो हमसे सवाल पूछने की औकात रखता हैं , हमसे आँख से आँख मिलाकर बात करने का साहस रखता हैं और हमें मार डालने की ताकत रखता हैं .

मुझे कभी - कभी लगता हैं की हमलोग खुद से बचने के लिए ही किसी की तलाश में रहते हैं ,  किसी ऐसे की तलाश में जिसे खोजने के बाद हम जुल्फों की छाँव में बिना किसी का सामना किये  मौत आने तक आराम से सो सकते हैं, दर्पण में हम अपनी आँखों को देखते हैं जिनसे हमें कोई आँख दिखाकर कुछ कहता हैं , कुछ ऐसा जो बहुत कडवा हैं पर हाँ जो सच होता  हैं , इसलिए शायद हम उन दर्पणों की तलाश में हैं जो किसी के आँखों में मौजूद हैं , उन आँखों में मौजूद दर्पण में हमें कड़वा सच भी  मीठा ही दिखता हैं .
vikasmahto3285

Vikas Mahto

New Creator

हमलोग डरते हैं , धरती पर हर जगह और सबसे ज्यादा होने के बाद भी हम ही हैं जो सबसे ज्यादा डरते हैं ,और मालूम हैं हमलोग किससे सबसे ज्यादा डरते हैं ? हमलोग सबसे ज्यादा खुद से डरते हैं , हमलोग सबसे ज्यादा अपने आप से ही डरते हैं , हमलोग डरते हैं अकेले रहने से , हमलोग डरते हैं चुपचाप रहने से और हमलोग डरते हैं खुद के साथ रहने से, खुद का सामना करने से… हमलोग को मालूम रहता हैं की हमारे अन्दर कोई और रहता हैं , कोई ऐसा जो हमसे सवाल पूछने की औकात रखता हैं , हमसे आँख से आँख मिलाकर बात करने का साहस रखता हैं और हमें मार डालने की ताकत रखता हैं . मुझे कभी - कभी लगता हैं की हमलोग खुद से बचने के लिए ही किसी की तलाश में रहते हैं , किसी ऐसे की तलाश में जिसे खोजने के बाद हम जुल्फों की छाँव में बिना किसी का सामना किये मौत आने तक आराम से सो सकते हैं, दर्पण में हम अपनी आँखों को देखते हैं जिनसे हमें कोई आँख दिखाकर कुछ कहता हैं , कुछ ऐसा जो बहुत कडवा हैं पर हाँ जो सच होता हैं , इसलिए शायद हम उन दर्पणों की तलाश में हैं जो किसी के आँखों में मौजूद हैं , उन आँखों में मौजूद दर्पण में हमें कड़वा सच भी मीठा ही दिखता हैं . #Art #Love #Hollywood #Movie #Hindi #film #drama #Passengers #vikas_durga_mahto