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मकड़ी भी नहीं फँसती, अपने बनाये जालों में। जितना

मकड़ी भी नहीं फँसती,
अपने बनाये जालों में।

जितना आदमी उलझा है,
अपने बुने ख़यालों में...।। Divu  for you
मकड़ी भी नहीं फँसती,
अपने बनाये जालों में।

जितना आदमी उलझा है,
अपने बुने ख़यालों में...।। Divu  for you

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