ये वीरान घर मुझको जीने नहीं देता दामन पे लगे जख्मो को सीने नहीं देता यादगारे आतिश ने मुझे इतना जलाया ह सब ऐ गम के चरागों को बुझने नहीं देता अमजद निगार s