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हम तो उस हबा के झोखो से बात किया करते थे जिस झोखो

हम तो उस हबा के झोखो से बात किया करते थे जिस झोखो के आने से लोग अपना रास्ता बदल दिया करते थे

इस बारिश की बूंदो मे तेरी लिपटे तो आज भी उठा काटती है

जैसे समुन्दर मे सैलाब उठा करती है तेरी लिपटे
हम तो उस हबा के झोखो से बात किया करते थे जिस झोखो के आने से लोग अपना रास्ता बदल दिया करते थे

इस बारिश की बूंदो मे तेरी लिपटे तो आज भी उठा काटती है

जैसे समुन्दर मे सैलाब उठा करती है तेरी लिपटे

तेरी लिपटे