उस शाम को आज फिर से लिखने बैठा जो कभी हुई ही नही मेरी तेरे ख्याल को बुनने की कोशिश और फिर उनके धूल जाने का दर्द सब कुछ तो आता है मुझसे मिलने बस एक तुम नही आती उस शाम को आज फिर से लिखने बैठा जो कभी हुई ही नही मेरी तेरे ख्याल को बुनने की कोशिश और फिर उनके धूल जाने का दर्द सब कुछ तो आता है मुझसे मिलने बस एक तुम नही आती कुछ हर्ज़ है या शिकायत है कोई तुमने कभी कुछ कहा भी तो नही