बड़ा लड़ते हैं लोग, ज़माने से यहां, ना बुरे हो, फिर भी बन जाओगे ! वो अकेले कमरे में, सिसकना तेरा, कब तक लोगों से छिपाओगे !! हांथों का, और सांसों का कांपना, बड़ा झेला है तुमने... बंद करके हथेली, ज़ोर से... कब तक, अन्दर ही अन्दर घबराओगे !!! घूंट भर पानी में, ताक़त है बहुत, पी कर देखना ऐसे में... लंबी सांस लेना, हिम्मत रखना, देखना हर मुश्किल से लड़ जाओगे ! बड़ा लड़ते हैं लोग, ज़माने से यहां....!! ~ प्रवीण कुमार #horror