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चाँद ना किसी रस्म पर, ना रिवायत पर यकीन रखती हुँ,

चाँद  ना किसी रस्म पर, ना रिवायत पर यकीन रखती हुँ,

ऐ चाँद! तेरी रौशनी में जब भी 
मैं  सुकून से बैठा करती हुँ। #चाँद
चाँद  ना किसी रस्म पर, ना रिवायत पर यकीन रखती हुँ,

ऐ चाँद! तेरी रौशनी में जब भी 
मैं  सुकून से बैठा करती हुँ। #चाँद