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टूटे हुए आईने को फिर से आईना बनाता हूँ दुश्मन भी आ

टूटे हुए आईने को फिर से आईना बनाता हूँ
दुश्मन भी आ जाए पनाह में,तो उसे दोस्त बनाता हूँ
अब मुझे उसके तल्ख़ लफ्ज दर्द देते ही नही 
ख़ता क्या हुई मुझसे, बस एक उसी का जवाब ढूढता हूँ
टूटे हुए आईने को फिर से आईना बनाता हूँ
दुश्मन भी आ जाए पनाह में,तो उसे दोस्त बनाता हूँ
अब मुझे उसके तल्ख़ लफ्ज दर्द देते ही नही 
ख़ता क्या हुई मुझसे, बस एक उसी का जवाब ढूढता हूँ