आ गया था फ़ैसला जिसका सबको इंतजार था हिन्दुस्तान की बेटी हूँ मैं, मुझको तिरंगे से प्यार था डर रहीं थीं मैं कि अब क्या करेंगे धर्म वाले क्या ज़ख्मी होगी जनता और मरेंगे कर्म वाले पर यहां देखा तो नज़ारा ही कुछ और था हिंदू हो या मुस्लिम, बस तिरंगा चहुंओर था इसी जश्न के किनारे कुछ बच्चों को देखा था शायद झूठी सी इस दुनिया में कुछ सच्चों को देखा था उन नन्हें मेहमानों में, एक छोटा शैतान था तिरंगे को ऐसे पकड़े, जैसे बिल्कुल उसकी जान था जब बाकी सारे बच्चे अपना झंडा ऊपर करते वो अपना तिरंगा और उठाने की कोशिश करता, मानो तिरंगा नहीं वो उसके कर्तव्य और अभिमान था। देखके ये नज़ारा, आ रहा मुझे उसपे प्यार था आ गया था फ़ैसला जिसका सबको इंतजार था ।