हम #मंदिर हो या मदीने नहीं जाते उसकी चौखट पर रोने नहीं जाते मिट्टी को समझ #मां, #वतन की खातिर शरहद पर वो लोग क्या जीने नहीं जाते चाहे छीन ले तू आंखों की रौशनी पर कुछ ख्वाब पलकों से छीने नहीं जाते