Nojoto: Largest Storytelling Platform

पता नहीं कहाँ चले जा रहे हैं ! अकेले इस खुले आसमान

पता नहीं कहाँ चले जा रहे हैं ! अकेले इस खुले आसमान के नीचे,
मंज़िल का मेरी मुझे पता तक नहीं है,
रास्तों से मैं पूरी तरह वाकिफ भी नहीं हूँ,
खुद को पाने की तलाश में दूर कहीं,
इस दुनिया से जुदा हुए जा रहे हैं,
पता नहीं फिर भी कहाँ चले जा रहे हैं #30
पता नहीं कहाँ चले जा रहे हैं ! अकेले इस खुले आसमान के नीचे,
मंज़िल का मेरी मुझे पता तक नहीं है,
रास्तों से मैं पूरी तरह वाकिफ भी नहीं हूँ,
खुद को पाने की तलाश में दूर कहीं,
इस दुनिया से जुदा हुए जा रहे हैं,
पता नहीं फिर भी कहाँ चले जा रहे हैं #30