एक कली खिली गलियारों में,जो सहम गई बाजार मे हम बैठे रहे मज़ारो मे, हम दबे रहे दीवारों मे ना जोश रहा हथियारों में,ना धार रही तलवारों में एक कली खिली गलियारों में,जो सहम गई बाजार मे