अपने ही हैं जो हँस रहे हैं दिल को तोड़ के–2, सब जा | हिंदी शायरी
"अपने ही हैं जो हँस रहे हैं दिल को तोड़ के–2,
सब जा चुके हैं साथ मेरा छोड़ - छोड़ के,
किससे करू शिकायतें, किससे गिला करू,
रूठा नसीब जब हो खड़ा मुँह ही मोड़ के,
और न तो है,मंजिल कोई, न कोई रास्ता,
किससे करू मैं गुजारिश हाथ जोड़ के–2...!!"
अपने ही हैं जो हँस रहे हैं दिल को तोड़ के–2,
सब जा चुके हैं साथ मेरा छोड़ - छोड़ के,
किससे करू शिकायतें, किससे गिला करू,
रूठा नसीब जब हो खड़ा मुँह ही मोड़ के,
और न तो है,मंजिल कोई, न कोई रास्ता,
किससे करू मैं गुजारिश हाथ जोड़ के–2...!!