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****** #वो आ जाती है# ******* हर रात मेरे यादों स

****** #वो आ जाती है# *******

हर रात मेरे यादों संग खेलने वो आ जाती है।
हर रात मेरे बाहों  में  खोने  वो  आ  जाती है।

यादों संग खेल के जब थक जाती है खुद में,
थक-हार के फिर मुझमें सोने वो आ जाती है।

नादानियाँ सरेआम हो जायें महफ़िल में उसकी,
खुद को माफ करने मेरे पास रोने वो आ जाती है।

किसी और का गुस्सा मुझपे उतार के ,
फिर खुद ही मुझको मनाने वो आ जाती है।

रूठ जाए जब कभी मुझसे वो किसी बात पे,
निगाहें झुका के मुझको बुलाने वो आ जाती है।

कैसे कह सकता हूँ कि अब नहीं है वो साथ मेरे,
तसव्वुर में ख्यालों संग फेरे लेने वो आ जाती है। ****** #वो_आ_जाती_है# *******

हर रात मेरे यादों संग खेलने वो आ जाती है।
हर रात मेरे बाहों  में  खोने  वो  आ  जाती है।

यादों संग खेल के जब थक जाती है खुद में,
थक-हार के फिर मुझमें सोने वो आ जाती है।
****** #वो आ जाती है# *******

हर रात मेरे यादों संग खेलने वो आ जाती है।
हर रात मेरे बाहों  में  खोने  वो  आ  जाती है।

यादों संग खेल के जब थक जाती है खुद में,
थक-हार के फिर मुझमें सोने वो आ जाती है।

नादानियाँ सरेआम हो जायें महफ़िल में उसकी,
खुद को माफ करने मेरे पास रोने वो आ जाती है।

किसी और का गुस्सा मुझपे उतार के ,
फिर खुद ही मुझको मनाने वो आ जाती है।

रूठ जाए जब कभी मुझसे वो किसी बात पे,
निगाहें झुका के मुझको बुलाने वो आ जाती है।

कैसे कह सकता हूँ कि अब नहीं है वो साथ मेरे,
तसव्वुर में ख्यालों संग फेरे लेने वो आ जाती है। ****** #वो_आ_जाती_है# *******

हर रात मेरे यादों संग खेलने वो आ जाती है।
हर रात मेरे बाहों  में  खोने  वो  आ  जाती है।

यादों संग खेल के जब थक जाती है खुद में,
थक-हार के फिर मुझमें सोने वो आ जाती है।

****** #वो_आ_जाती_है# ******* हर रात मेरे यादों संग खेलने वो आ जाती है। हर रात मेरे बाहों में खोने वो आ जाती है। यादों संग खेल के जब थक जाती है खुद में, थक-हार के फिर मुझमें सोने वो आ जाती है। #कविता #निगाहें #महफ़िल #तसव्वुर #Uशुभ