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जिनके हृदय में उपजती थी प्रेम की फसलें, समय के थपे

जिनके हृदय में उपजती थी प्रेम की फसलें,
समय के थपेड़ों ने पाषाण पैदा कर दिए,
बहुत दुख हुआ,जब उसी हृदय को बंजर देखा,
शब्द जिनके गंगा की तरह होते थे,
उन्ही शब्दों में खौलता,खारा समन्दर देखा,
आज हमने बहुत ही हौलनाक मंजर देखा,
जो बेचा करते थे कभी गुलाब,
उन मासूम से हांथों में खंजर देखा, #InspireThroughWriting
जिनके हृदय में उपजती थी प्रेम की फसलें,
समय के थपेड़ों ने पाषाण पैदा कर दिए,
बहुत दुख हुआ,जब उसी हृदय को बंजर देखा,
शब्द जिनके गंगा की तरह होते थे,
उन्ही शब्दों में खौलता,खारा समन्दर देखा,
आज हमने बहुत ही हौलनाक मंजर देखा,
जो बेचा करते थे कभी गुलाब,
उन मासूम से हांथों में खंजर देखा, #InspireThroughWriting