रस्ता और गाँव गाँव की पगडंडियों पर सुनसान राहों पर बैलगाड़ी पर बैठकर यात्रा भुलाए नहीं भूलती बैलगाड़ी के चक्के की चपर- चूं की आवाज और बैलों के गले के घुंघरूों की सुनसान चीरने वाली आवाज आज भी बरबस याद आ जाती है # रास्ता और गांव# सफर गांव का, यात्रा बैलगाड़ी की