जन्म लिया भारत माँ को बेड़ियों से मुक्त कराने, गाते थे जो हर पल सिर्फ़ आज़ादी के हीं तराने... कलम भी जिनकी वाकिफ़ थी जज़्बातों से उनके, लिखने जाते इश्क़ और वो इंक़लाब लिख जाती थीं... वे वीर पुत्र थे भारत माँ के चर्चे दुश्मनों में थे उनके, सपनों का तो क्या कहें आज़ादी हीं आँखों में नज़र आती थीं... -स्वप्निश शहीद - ए-आज़म भगतसिंह जी को उनकी जन्मजयंती पर कोटि - कोटि वंदन... जय हिंद