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#OpenPoetry कल वो मेरे पास आये, कुछ इस तरह.. कि आ

#OpenPoetry कल वो मेरे पास आये, कुछ इस तरह..

कि आग़ोश में, मैं उनके थी, खुली खुली सी कहीं
सिमट रहे थे ज़िस्म, दो से एक हो रहे थे वहीं...
लबों से लब टकरा के, झगड़ रहे थे कहीं,
हर एक आह पे, वो कुछ रगड़ रहे थे कहीं ।
बड़ा सुकून था, वो जब भी कस रहे थे मुझे,
लिपट लिपट के, बेख़ौफ़ डस रहे थे मुझे ।

सब उड़ेलकर मुस्कुराये, कुछ इस तरह..
कल वो मेरे पास आये, कुछ इस तरह.. #love #feelings #erotic #deeplove #desire #18+ #nitindilse #nkharit
#OpenPoetry कल वो मेरे पास आये, कुछ इस तरह..

कि आग़ोश में, मैं उनके थी, खुली खुली सी कहीं
सिमट रहे थे ज़िस्म, दो से एक हो रहे थे वहीं...
लबों से लब टकरा के, झगड़ रहे थे कहीं,
हर एक आह पे, वो कुछ रगड़ रहे थे कहीं ।
बड़ा सुकून था, वो जब भी कस रहे थे मुझे,
लिपट लिपट के, बेख़ौफ़ डस रहे थे मुझे ।

सब उड़ेलकर मुस्कुराये, कुछ इस तरह..
कल वो मेरे पास आये, कुछ इस तरह.. #love #feelings #erotic #deeplove #desire #18+ #nitindilse #nkharit