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डरता हूँ शहर में दाखिल होने से जहाँ घर नहीं मकाँ न

 डरता हूँ शहर में दाखिल होने से
जहाँ घर नहीं मकाँ नजर आते हैं 

हम गुल है खिल उठते हैं जहाँ 
तितलियों के समाँ नजर आते हैं 

छगन कुमावत "लाड़ला"©
 डरता हूँ शहर में दाखिल होने से
जहाँ घर नहीं मकाँ नजर आते हैं 

हम गुल है खिल उठते हैं जहाँ 
तितलियों के समाँ नजर आते हैं 

छगन कुमावत "लाड़ला"©

डरता हूँ शहर में दाखिल होने से जहाँ घर नहीं मकाँ नजर आते हैं हम गुल है खिल उठते हैं जहाँ तितलियों के समाँ नजर आते हैं छगन कुमावत "लाड़ला"©