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हम अपनी अंतरात्मा की आवाज का उल्लंघन करते हैं जित

हम अपनी अंतरात्मा की आवाज का उल्लंघन करते हैं 
जितना उल्लंघन करते हैं उतना खुद के अपराधी होते जाते है 
समाज के अपराधी होना बहुत बड़ी बात लगती है 
पर अपने खुद के अपराधि होना कोई बड़ी बात नहीं लगती
लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि हमारी नजर में अपराधी की परिभाषा क्या है ?

©Ravina Rajput