*बिकती है ना ख़ुशी कहीं*, *ना कहीं गम बिकता है..*. *लोग गलतफहमी में हैं*, *कि शायद कहीं मरहम बिकता है..*. *इंसान ख्वाइशों से बंधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है,* *उम्मीदों से ही घायल है और* *उम्मीदों पर ही जिंदा है...*