न मन्दिर का हूँ - न मस्ज़िद का हूँ न मैं किसी मज़हबी शहर का हूँ, जिसकी फ़ितरत में है आवारगी मैं समुन्दर की उस लहर सा हूँ...!! #हिन्दी #शायरी #उर्दू #हिंदीशयरी #उर्दूशायरी #ग़ज़ल #कविता #hindi #poetry #hindipoetry #hindishayari #urdupoetry #urdushayari