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कल जब, मेरे पैर उग रहे थे, पूरी तरह उगे भी नहीं थे

कल जब,
मेरे पैर उग रहे थे,
पूरी तरह उगे भी नहीं थे,
फिर भी मैं बिना थके,
दूर तक चल लिया करता था।

और आज जब,
मेरे पैर उग चुके हैं,
साथ ही, हाथ से एक,
तीसरा पैर भी उग आया है।

फिर भी मैं,
पास तक नहीं चल पाता,
पता है क्यों?
क्योंकि......

कल मैं बेटा था,
और आज मेरे बेटे हैं।

©राहुल भास्करे कल जब,
मेरे पैर उग रहे थे,
पूरी तरह उगे भी नहीं थे,
फिर भी मैं बिना थके,
दूर तक चल लिया करता था।

और आज जब,
मेरे पैर उग चुके हैं,
कल जब,
मेरे पैर उग रहे थे,
पूरी तरह उगे भी नहीं थे,
फिर भी मैं बिना थके,
दूर तक चल लिया करता था।

और आज जब,
मेरे पैर उग चुके हैं,
साथ ही, हाथ से एक,
तीसरा पैर भी उग आया है।

फिर भी मैं,
पास तक नहीं चल पाता,
पता है क्यों?
क्योंकि......

कल मैं बेटा था,
और आज मेरे बेटे हैं।

©राहुल भास्करे कल जब,
मेरे पैर उग रहे थे,
पूरी तरह उगे भी नहीं थे,
फिर भी मैं बिना थके,
दूर तक चल लिया करता था।

और आज जब,
मेरे पैर उग चुके हैं,

कल जब, मेरे पैर उग रहे थे, पूरी तरह उगे भी नहीं थे, फिर भी मैं बिना थके, दूर तक चल लिया करता था। और आज जब, मेरे पैर उग चुके हैं, #Hindi #poem #nazm #rahulbhaskare