गंगा जल मैंने रुका नहीं देखा तिरंगा यूँ मैने झुका नहीं देखा तस्वीर अपनी लेने का जतन ना हुआ इस कदर उदास कभी वतन ना हुआ आँखे ही नहीं जैसे लफ्ज़ भी नम थे कहाँ गए वो दिन जब आपकी छत्रछाया में हम थे जिंदगी से कभी कोई गिला ना रहा आज लगा कि लाल किला-किला ना रह साय में तुम्हारे अब वो पल ना होंगे लेखक बहुत से आएँगे पर अटल ना होंगे शायद ही धरती पर कोई गुणों से इतन निपुण आया होगा यमदूत नहीं बिहारी जी को लेने विश्नू का वाहन गरुण आया होगा पूरे भारत वर्ष का एक साथ दिल दुखा नहीं देखा तिरंगा यूँ मैने कभी झुका नहीं देखा तिरंगा यूँ मैने झुका नहीं देखा #तिरंगा