__बूँद__ निकलकर बादलों की गोद से धरती की तरफ गिरती है बूँद,बिना पीछे देख आगे की ओर बढ़ती है बूँद,पता नही कहाँ गिरेगी बस चलती रहती है बूँद,कही सींप में गिरकर मोती बनती है तो कही अंगारो पर जलती है बूँद,कही किसी की प्यास बुझती है तो कही धूल मिट्टी में मिल जाती है बूँद,कही किसी के घर गिराकर रुलाती है तो कही सूखे से बचाकर हँसाती है बूँद, तो कही वापस सागरो में मिल जाती है बूँद,हमारी खुद की ज़िन्दगी जैसी है बूँद। ___vivek chauhan___ #bachpan #boond #love #quote #बूँद #ज़िन्दगी #heart OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)