इन मासूम तुम्हारी आंखों को, नाज़ुक नाज़ुक गालों को, और गुलाबी होंठो को, मैं काली काली रातों में, मधुबन के सन्नाटों में, घाटों पर बिछती ओस पर, अपने को तुझ में होश कर, मैं प्रतिबिंब तुम्हारा देखूंगा। फ़िर हाथ फेरकर गालों पर, मैं हल्के हल्के चूमूंगा।। मैं हल्के हल्के चूमूंगा।। Shivank Srivastava 'Shyamal' इन मासूम तुम्हारी आंखों को, नाज़ुक नाज़ुक गालों को, और गुलाबी होंठो को, मैं काली काली रातों में, मधुबन के सन्नाटों में, घाटों पर बिछती ओस पर, अपने को तुझ में होश कर, मैं प्रतिबिंब तुम्हारा देखूंगा।