"{(खैर इश्क़ की)}
खैर इश्क़ की हो जावे कोई रांझा रास्ते मिल जावे.सूरत पे मेरी वो रांझा नाम हसीं कर जावे,दिल मांगू तो देवे जान,कोई इश्क़ मुबारक कर जावे.
जीने की ज़िद तो सब लिए फिरते है,कोई हाथ पे जान ले आवे,मेरी एक ज़िद पे वो अड़ जावे तोड़ आसमां चाँद का हार गले पहना जावे.
पढ़ ले मेरी आँखों में वो इश्क़ के अंधेरे,करदे रोशन आँखों के फेरे,कोई ऐसा मलंग दीद इश्क़ इबादत दे जावे.
ना मुझे अरमान साथ जन्मों के बंधन का,साथ ना मांगू हरपल का,वो साथ एक पल में सदियां जी जावे.
दे के तो जाए एक मुस्कान कह के तो जावे मुझको जान ये कमली पे वो यारा करके तो कोई एहसान जावे.
सात समंदर अब कौन जिये आँखों की बारिश कौन पिये,जुदाई के इस दर्द को फिकरों के इस मर्ज़ को,कोई दवा खुदाई दे जावे"