प्रधानमंत्री की कुर्सी वो करुणाधिन,निःस्वार्थ भावना,जगव्यापी सब कहाँ गए, मेरे लिए नजाने कितने झूठ और षड्यंत्र रचे गए, मैं मौन कुछ न बोल सकी, जो बैठा उसने न जाने कितने सितम किये, सेवा में हुआ निर्माण, सेववादी कहाँ गए, मुझ बिन काबिल बनने हेतु, लोगो मे धर्म, अहिंसा के जतन हुए, मुझको पाने हेतु दुश्मन दोस्त और दोस्त ,दुश्मन हुए, वो समाज सेवी , परिश्रम कर्ता, सब कहाँ गए, वक्ता और नायक मंडली से सारे संसद भर गए, हो विनम्र , यूँ वाचालों के दिन गए, मेरा मान बड़ा तभी, जब सच्चे निष्ठावादी व्यक्ति मुझपे विराजमान हुए, हो तुम काबिल तो कर्म करो,यूँ छल कपट सब हैं समझ गए, मुझ पर बैठने वाला व्यक्ति सिर्फ भारत माता की जय कहे🇮🇳 #primeminister #chair #innerthought #election #plitics