*मुट्ठी दुआओं की माता-पिता ने चुपके से सिर पर छोड़ दी... खुश रहो... कहकर;* *और हम, नासमझ, जिंदगी भर मुक़द्दर का अहसान मानते रहे।* #maa #jindagi