वो नजरे नही मिलती थी उसकी तहजीब थी, हाय खुदा आंखों में प्यार हो शर्म ना हो, हर जख्म मेरा चीख के कहता है उसे बेहिसाब दर्द हो और खत्म न हो, करीब रह के जिस तरह मिटाया है मुझे हाय खुदा अब के मेरे दुश्मन हो सनम न हो। मेरे किये की सज़ा है कि तू मज़े में है तेरे नियत का पता हो तो ये करम न हो, अब है ये टूटे दिल की ख्वाहिश की तुझे इश्क न हो और गर हो तो हजम न हो।।। #दर्द