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जन् तंत्र कहें ,गण तंत्र कहें । हम इस देश के वासी

जन् तंत्र कहें ,गण तंत्र कहें ।
हम इस देश के वासी हैं।।
अब उम्मीदों का भारतुम्हें सौंपा है ।
ये भार हटे तकरार मिटे 
यह सोच बना सत्ता सौंपी ।
नईपीढी़ को नवल ज्ञान ,
मिटे अज्ञान ,हो सबका मान ।
हर भेदभाव  ,मिटे अलगाव।।
अब भार तुम्हें यह सौंपा है।।।
जन् तंत्र कहें ,गण तंत्र कहें ।
हम इस देश के वासी हैं।।
अब उम्मीदों का भारतुम्हें सौंपा है ।
ये भार हटे तकरार मिटे 
यह सोच बना सत्ता सौंपी ।
नईपीढी़ को नवल ज्ञान ,
मिटे अज्ञान ,हो सबका मान ।
हर भेदभाव  ,मिटे अलगाव।।
अब भार तुम्हें यह सौंपा है।।।