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"धर्म के आईने" भावनाओं तक ही सीमित है परन्तु सद्भा

"धर्म के आईने" भावनाओं तक ही सीमित है
परन्तु सद्भावना सत्कर्म दर्पण में असीमित है
गिरती "बूँदे"  तो शोर मचा सकती है जोर नहीं
कोई आँख मूँदे चले ठोकरें मिलेगी मंजिल नहीं

©अनुषी का पिटारा.. #विकास #अनुषी_का_पिटारा
"धर्म के आईने" भावनाओं तक ही सीमित है
परन्तु सद्भावना सत्कर्म दर्पण में असीमित है
गिरती "बूँदे"  तो शोर मचा सकती है जोर नहीं
कोई आँख मूँदे चले ठोकरें मिलेगी मंजिल नहीं

©अनुषी का पिटारा.. #विकास #अनुषी_का_पिटारा