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रेड हो, व्हाइट हो या हो ब्राउन हमारे लिये तो पीना

रेड हो, व्हाइट हो या हो ब्राउन हमारे लिये तो पीना ही हराम था
चढ़ता भी था उतरता भी था कोई सीढी़ नहीं वो तो जाम था
उनके दीदार ए नजर ने ऐसा घायल किया हमें खंजर की जरूरत ही न पडी़
वो भी क्या खूबसूरत कत्ल-ए-आम था

शायर आयुष कुमार गौतम खूबसूरत कतले आम
रेड हो, व्हाइट हो या हो ब्राउन हमारे लिये तो पीना ही हराम था
चढ़ता भी था उतरता भी था कोई सीढी़ नहीं वो तो जाम था
उनके दीदार ए नजर ने ऐसा घायल किया हमें खंजर की जरूरत ही न पडी़
वो भी क्या खूबसूरत कत्ल-ए-आम था

शायर आयुष कुमार गौतम खूबसूरत कतले आम

खूबसूरत कतले आम