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सबकी अपनी अपनी सोच है यहाँ यह उगते चांद को डलती हु

सबकी अपनी अपनी सोच है यहाँ
यह उगते चांद को डलती हुई शाम कह देंगे,,,

सारा दिन फुरसत में बिता ते है 
ली हुई उबासीओ को यह किया कोई काम कह देंगे,,

क्या बताए आलम क्या है अब, यह सर 
पर ऑडी सफ़ैद टोपी को भी केसरी दस्तार कह देंगे,,

क्यों प्यादे बन रहे हो इस राजनीति के
यह मस्जिद छोड़ मंदिर को भी ईंटो की मीनार कह देंगे,,

दिन आने दो इनके चुनावो में मंदिर के 
फैसले को यह दिलाई इनके दुआरा कोई खैरात कह देंगे,, hate these kinds of politics,, यह चाहते तो उस मामले को neutral छोड़ देते,, वहां कोई सार्वजनिक स्थान बना सकते थे ,, यह मेरी सोच है आपका क्या कहना है इस बारे मे?
सबकी अपनी अपनी सोच है यहाँ
यह उगते चांद को डलती हुई शाम कह देंगे,,,

सारा दिन फुरसत में बिता ते है 
ली हुई उबासीओ को यह किया कोई काम कह देंगे,,

क्या बताए आलम क्या है अब, यह सर 
पर ऑडी सफ़ैद टोपी को भी केसरी दस्तार कह देंगे,,

क्यों प्यादे बन रहे हो इस राजनीति के
यह मस्जिद छोड़ मंदिर को भी ईंटो की मीनार कह देंगे,,

दिन आने दो इनके चुनावो में मंदिर के 
फैसले को यह दिलाई इनके दुआरा कोई खैरात कह देंगे,, hate these kinds of politics,, यह चाहते तो उस मामले को neutral छोड़ देते,, वहां कोई सार्वजनिक स्थान बना सकते थे ,, यह मेरी सोच है आपका क्या कहना है इस बारे मे?

hate these kinds of politics,, यह चाहते तो उस मामले को neutral छोड़ देते,, वहां कोई सार्वजनिक स्थान बना सकते थे ,, यह मेरी सोच है आपका क्या कहना है इस बारे मे?