::::::::::लोग कहते हैँ कि जब तुम्हारे रोने से किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ता तो क्यों रोते हों....मत रोया करो अब उन्हें कौन समझाये कि रोता कोई किसी को फ़र्क़ पड़वाने के लिए नहीं है... वो तो मन में आये रोष के भार और दुख की सिकुड़न को दूर करने के लिए स्वतः होने वाली एक प्रक्रिया है, जैसे प्रसन्नता अनुभव होने पर हसीं का आना:::::::::: रोने से दर्द कम नही होता लेकिन एक शुकून सा मिल जाता जैसे तेज बारिश के बाद आसमान एक दम साफ़ हो जाता एक ताजगी और ठंडक का अनुभव होता बस वैसा ही महसूस होता.... लोगो को तो बस कहना होता कह देते दर्द आपका है उसे दिल में मत दबाइए उसे बह ने दीजिए .. ✍🏼✍🏼 ©Durga Gautam #Parchhai