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पतझड़ की एक शाख सा जीवन नीरव और निस्पंद सा कोरा

पतझड़ की एक शाख सा जीवन 
नीरव और निस्पंद सा 

कोरा आँचल, धूमिल दृष्टि 
पैरों में पड़ा एक फंद सा 

गृहशोभा थी, कलंक हुई क्यों 
अंतर में उठे ज्यूँ द्वन्द्व सा
sapnasharma2075

Sapna Sharma

New Creator

पतझड़ की एक शाख सा जीवन नीरव और निस्पंद सा कोरा आँचल, धूमिल दृष्टि पैरों में पड़ा एक फंद सा गृहशोभा थी, कलंक हुई क्यों अंतर में उठे ज्यूँ द्वन्द्व सा #Change #poem #tribute #nojotovideo #hindi_poetry #widow #social_issues #Ishwarchandravidyasagar

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