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#OpenPoetry जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव

#OpenPoetry जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव से,
बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई।
#OpenPoetry जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव से,
बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई।