मुझे यकीं है मेरे सब्र पर मेरे लिए तेरी बेवफाई कुछ भी नही गलतफहमियों की छाँव है, चाहत की किरणें लौट आती है फरेब की छांव है ,सच्चाई कुछ भी नही अब देर नही इश्क को दर्पण बनने में हटेगी धुँध, सटेंगे बादल इक दिन फिर छुपा-छुपाई कुछ भी नही !!