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मंज़िल को पाने तन्हा ही चल पड़ी हूँ राहों पर, अगर

मंज़िल को पाने तन्हा ही
 चल पड़ी हूँ राहों पर,

अगर साथ सभों का
 मिल जाए
 तो मंज़िल अपनी दूर कहाँ।।

🙏☺रिमझिम कश्यप # शायरी
मंज़िल को पाने तन्हा ही
 चल पड़ी हूँ राहों पर,

अगर साथ सभों का
 मिल जाए
 तो मंज़िल अपनी दूर कहाँ।।

🙏☺रिमझिम कश्यप # शायरी

# शायरी