अपनी आँखों में काजल लगाना,छोड़ दिया क्या? अजी किसी गैर से नज़रे मिलाना,छोड़ दिया क्या? अब तन्हाई,तुमको भी डसने लगी है हर घडी, किसी के हाल पर मुस्कुराना,छोड़ दिया क्या? ये उदासी,तुम्हारे चेहरे पर कब से छाने लगी, किसी के ज़हन का सुकूँ चुराना,छोड़ दिया क्या? अब शीशे सी,तुम भी टूटकर बिखरने लगी हो, किसी के जख्मों पर खंज़र चलाना,छोड़ दिया क्या? तुम्हारे लबों पर मेरा नाम "आर्या",फिर से आ गया, किसी ने बता कर हमारा ठिकाना,छोड़ दिया क्या? Akshita Jangid(poetess) #nojotohindi