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आज के दौर के रिश्ते कमजोर टहनियों जैसे हैं फाखिर इ

आज के दौर के रिश्ते कमजोर टहनियों जैसे हैं फाखिर
इनका कोई भरोसा नही न जाने कब टूट कर बिखर जायें #न जाने कब बिखर जायें
आज के दौर के रिश्ते कमजोर टहनियों जैसे हैं फाखिर
इनका कोई भरोसा नही न जाने कब टूट कर बिखर जायें #न जाने कब बिखर जायें

#न जाने कब बिखर जायें