#OpenPoetry दुर हो जाओ अब मत दिखना मेरी गलियों में उन गलियों में जहां मै रहा करता हूँ खौफ बढ गई है उन छोटी सी जज्बातों में जहां तुम रहा करती थी। दुर हो जाओ अब मेरी उन सभी निगाहों से जहाँ मेरा मन तुमको महसूस करता था बदबू बढ गई है उन छोटी सी मन मे जहां तुम आग लगा छोड़ चली। दुर हो जाओ अब खुब गुमराह कर गई वो बातें किसी आशिक के नाम कर गई तोड दी इस नाजुक सी मन को अब पराई बन चली। दुर हो जाओ अब अब ये पत्थर दिल बन चला अब मत आना मेरे राह में इश्क-ऐ-दिल आग का दरिया बन जाओगी मत आना मेरी बाहों मे भस्म राख बन जाओगी मत आना इन झुठे वादा लेकर बर्बाद आशिक कहलाओगी मत आना अब तुम इस जहां मे चुभन-ए-इश्क चुभ जाएगी। दुर हो जाओ अब वक्त बदल गया है मेहफिल जो हम और तुम नाम का होता था वो बस हम बन गया है। Title:- " दूर हो जाओ अब " Written By:- कुमार सत्यव्रत #love